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कैसे पूरब में आता है
धीरे-धीरे सूरज उठकर
कैसे जाता है अँधियारा
खिल जाता है पूरा अंबर
कैसे सूरज ले आता दिन
आकर के फूल खिलाता है
कैसे फिर चिड़ियों का समूह
मीठे स्वर में कुछ गाता है
सूरज ऊपर चढ़ जाता है
कैसे किरणें नीचे झरतीं
कैसे फिर किरणें फूलों को
छू-छूकर मुसकानें भरतीं
कैसे दुपहर जब होती है
गरमी कैसे हो जाती है
आता है बहुत पसीना जब
तबियत कितनी घबड़ाती है
कैसे सुंदर शीतल संध्या
पश्चिम में धीरे से आती
जब हर चिड़िया अपने घर आ
कोई मीठा गाना गाती
कैसे तारों वाली साड़ी
पहने आती है रात तभी
माथे पर चंदा की बिंदी
छोटी-सी या फिर बड़ी कभी
कैसे वन, पर्वत, नदी बने
या कैसे धरती पर सागर
जो देख रहे, वह कैसे है
जिससे यह दुनिया है सुंदर
मन में उठते अनगिन सवाल
चाहिए हमें सबका उत्तर
मैं भी उत्तर हूँ खोज रहा
अपने मन में विचार लाकर।