भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कंतकथैया / श्रीप्रसाद" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीप्रसाद |अनुवादक= |संग्रह=मेरी...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
13:11, 20 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण
कंतकथैया चलती नैया
आओ बैठो जल्दी भैया
नैया सबको पहुँचाएगी
अभी-अभी उस पार
सर-सर-सर-सर पार करेगी
तेज नदी की धार
कंतकथैया चलती नैया
लेकर इसको चला कन्हैया
कल-कल-कल लहरों के ऊपर
चली नाचती नाच
इसमें बैठे हैं मिल करके
हम सब बच्चे पाँच
कंतकथैया चलती नैया
आई तेज लहर ओ दैया
मगर कन्हैया बड़ा चतुर है
तुरत बचा ली नाव
कितनी खुशी हुई कैसा था
भारी तेज बहाव
कंतकथैया चलती नैया
उतर-उतरकर दिया रुपैया।