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॥दोहरा॥
छनिछर वारउतावले वेख सज्जण दी सो।
असाँ मुड़ घर फेर ना आवणा जो होणी होग सो हो।
वाह वाह छनिछर वार वहीले।
दुःख सज्जन दे मैं दिल पीले।
ढूँडां औझड़ जंगल बेले।अद्धड़ी ैनं कुवल्लड़े वेले।
बिरहों घेरिआँ॥1॥
खड़ी तांघाँ तुसाड़िआँ तांघाँ।
रातीं सुत्तड़े शेर उलांघाँ<ref>ऊपर से लांघना</ref>।
उच्ची चढ़ के कूकाँ<ref>चीखें मारना</ref> चांघाँ<ref>चांघरा</ref>।
सीने अन्दर रड़कण सांघाँ<ref>बरछियाँ</ref>।
प्यारे तेरिआँ॥2॥
॥दोहरा॥
बुद्ध सुद्ध रही महबूब दी सुद्ध आपणी रही ना होर।
मैं बलिहार ओस दे जो खिच्चदा मेरी डोर।
बुद्ध सुद्ध आ गया बुधवार।
मेरी खबर लए दिलदार।
सुखाँ दुखाँ तों घत्ताँ वार।
दुखाँ आण मिलाया यार।
प्यारे तारिआँ॥3॥
प्यारे चल्लण न देसाँ चल्लिआं।
लै के नाम जुल्फ दे वल्लेआं।
जाँ ओह चल्लिआ ताँ मैं छल्लिआं।
ताँ मैं रक्खसाँ दिल रल्लिआं।
लैसाँ वारिआँ॥4॥