"स्पेस / विकाश वत्सनाभ" के अवतरणों में अंतर
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13:51, 6 मार्च 2017 के समय का अवतरण
नगरक असंख्य भीड़ मे
रहैछ एकटा दुनिया
'मॉल' मे पाया कातक दुनिया
'सिनेमा' मे अंतिम सीटक दुनिया
उद्यान मे झारक कातक दुनिया
आँजुर भरि नेहक लेल
झिझिरकोना खेलाइत दुनिया।
जे चाहै छै कने बिलमओ 'ट्रैफिक'
किंवा परैत रहौ अछार,आ
'ओवरब्रिजक' छत्ता मे ओ भीजैत-
रहै एकदोसरक संग
ओ चाहै छै बन्न भ' जाऊ मेट्रो
नहु नहु ससरौ सिटी बस,आ
घंटा धरि बेसी थाम्हि सकै -
ओ एकदोसरक हाथ।
अपने मे हेरायल इ दुनिया
मँगैत छैक 'स्पेस'
चहुदिश लपलपाइत आँखि सौं
जे घुरै छै ओकरा जैंह-जतर
जेना टेम्पूबला घूरै छै कतका ऐना सौं।
इ दुनिया देखैत छैक अम्बेदकर के-
चौबटिया पर ठाड़ पोथी धेने
फुटैत छै ओकरा मे भरोखक इजोत
न्यायालय केर गुम्बज ओकरा अभरैत छै
मनोकामनाक सिद्ध पीठ सन
ओ हमरा अहाँ सौं भगैत/बँचैत
सुस्ता अबैत छै सिन्धुक कछेर सौं।
मुदा कतेक दिन खेपतै एना,
कोना अनामति रहतै इ दुनिया ?
तैं एकरा जीबैत रहबा लेल
पसार' दियौ पाँखि चुनमुन्नी के
उड़' दियौ निधोख प्रेमक अकास मे
आ हम खटाउंस नहि मनुख भ'
देखि ओकरे आँखि सौं ओकर दुनिया
हरियर-एक रंग मोनक चास सन
लाल-एक रंग सबहक खून सन।