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"हर कोई चाहता है / कुमार कृष्ण" के अवतरणों में अंतर

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22:06, 8 मार्च 2017 के समय का अवतरण

हर कोई चाहता है एक दरवाजा
जिस पर लिखा हो उसका नाम
उसकी अपनी आग हो
जिस पर सेंक सके वह बाजरे की, मक्की की रोटियाँ
उसके पास हो शीशे वाली खिड़की
जिसके बीच से देख सके वह
पेड़ों को मस्ती में झूलते हुए
चोर-सिपाही का खेल खेलते बच्चों को
उसके पास हो एक छोटी-सी बन्दूक
छोटी-सी माचिस की डिबिया
खीसे में साथ-साथ चले।