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"युद्ध / विनोद शर्मा" के अवतरणों में अंतर
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युद्ध अनिवार्य है
उसके लिए भी जो अकेला है
(वैसे कोई अकेला होता नहीं)
और उसके लिए भी जो अकेला नहीं है
जन्म लेते ही बच्चा रोता नहीं
उस युद्ध की घोषणा करता है
जो उसे लड़नापड़ता है आजीवन,
वह जो अकेला है
उसे लड़नापड़ता है अकेलेपन से
अब यह उसकी क्षमता है या नियति
किवह बुद्ध बनता है या तुलसीदास?
या फिर करनी पड़ती है उसे आत्महत्या
और वह जो अकेला नहीं है
उसे लड़ना पड़ता है उन असुरों और कौरवों से
जिनसे वह घिरा हुआ है
अब यह उसकी क्षमता है या नियति
कि वह राम बनता है या श्याम?
या फिर मारा जाता है शत्रुओं के हाथों
बहरहाल परिणाम चाहे कुछ भी हो
जीवन में युद्ध अनिवार्य है।