भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"एक प्रमेय यह भी / विनोद शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनोद शर्मा |अनुवादक= |संग्रह=शब्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:06, 15 मार्च 2017 के समय का अवतरण

जीवन में आता है
या तो दुख
या फिर सुख

जिन्दगी जीना भी एक कला है
जिसे सिखाता है हमें दुख
और परखता है सुख

इसलिए हमें हर पल
सतर्क
कमर-कसे
और डटे रहना पड़ता है।

दरअसल हर पल
या तो हम सीख रहे होते हें
या फिर दे रहे होते हैं इम्तहान

यों दुनिया में
ऐसे लोग भी होतेहैं
जो समझ बैठते हैं
सुख को दोस्त
और दुख को दुश्मन।

ऐसे महानुभाव
या तो सोते हैं
या फिर रोते हैं।