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"घिरे होने के बावजूद / विनोद शर्मा" के अवतरणों में अंतर
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कुछ लेना देना नहीं है जिनको मेरे दुखों से
और मतलब है मेरे उन सुखों से
जो मुझसे उन्हें भी मिलते हैं या फिर जिनकी
उन्हें मिलने की संभावना है
ऐसे लोगों से
(दोस्ती या रिश्तेदारी के नाम पर
घिरे होने के बावजूद)
खोजने के लिए जिन्दगी में सुख
और बटोरने के लिए कुछ खुशियां
की गई मेरी तमाम कोशिशों से
तो यही सिद्ध होता है
कि या तो मैं किसी गलतफहमी का शिकार हूं
या फिर जिन्दगी को हताशा के अंधकार से
उम्मीद की रोशनी तक, ले जाने वाला वो
घोर आशावादी नायक हूं
जो जानता है कि उसके आशावाद की नींव
स्थितियों के गत आकलन पर नहीं रखी गई।