भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्रणय / विनोद शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनोद शर्मा |अनुवादक= |संग्रह=शब्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:25, 15 मार्च 2017 के समय का अवतरण

प्रिय!
प्रणय में-
अधूरेपन
अजनबीपन और उदासीनता को
कब तक हम ढोते फिरें?

क्यों न हम,
एक दूसरे की देह की बांसुरी में
अपनी-अपनी सांसों और धड़कनों के
स्वर भर दें?
जिएं या मरें
लेकिन प्यार तो करें।