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"अङ्ग अङ्गमा / सुमन पोखरेल" के अवतरणों में अंतर
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ऐना हेर्दा भएँ झसङ्ग | ऐना हेर्दा भएँ झसङ्ग |
21:33, 15 मार्च 2017 का अवतरण
अङ्ग अङ्गमा चल्यो तरङ्ग
ऐना हेर्दा भएँ झसङ्ग
हरेक अङ्ग देख्छु नौलो
ममा कहिले यो वय आयो
छैन आफ्नै मन आफू सँग
ऐना हेर्दा भएँ झसङ्ग
गालामा कस्तो लाली चढेछ
अधर पनि अर्कै भएछ
फेरिई सकेछ मेरो रङ्ग
ऐना हेर्दा भएँ झसङ्ग