भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"थिएटर हम हैं / विष्णुचन्द्र शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विष्णुचन्द्र शर्मा |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

10:59, 17 मार्च 2017 के समय का अवतरण

यात्रा एक थिएटर है
मास्को कब छोड़ा था अलाक्सांदर ने!
कब मुझसे पारी के बगीचे में
अपनी मस्ती का राज खोला था उसने
बगीचे के फूल हमें देख रहे थे और यात्रा के
अनुभव पर हुँकारी भर रहे थे पेड़
वह हांगकांग में
इतना अकेला नहीं था।
फिर उसकी पारी तक की यात्रा एक थिएटर है!
मैं विदा होने तक उसी थिएटर का
एक उदास पात्र रहा।