भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सूर्य पिरामिड / विष्णुचन्द्र शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विष्णुचन्द्र शर्मा |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

11:12, 17 मार्च 2017 के समय का अवतरण

यहाँ चाँद का पिरामिड
सूर्य के पिरामिड का पड़ोसी है
और सभ्यता के चिन्ह बिखरे हैं
दूर तक।
सीढ़ियों की आड़ी रेखाओं में
जमी है मूर्तियाँ।
सिर्फ मैं हिम्मत बटोर रहा हूँ
धैर्य से 250 सीढ़ियाँ चढ़ने की!
सिर्फ पिरामिड के पत्थर जमे हैं इत्मीनान से!
सिर्फ सीढ़ियाँ बता रही हैं ऊँचाई की दिशा!
सिर्फ उत्साह से भरे यात्री खींच रहे हैं मेरी फोटो!
सिर्फ मेरे सामने
आकाश खोल रहा है अपना दिल।
सिर्फ नीचे पेड़ों को थामे ठहरी हैं बस्तियाँ
सिर्फ ऊँचाई पर मैं
मिथकीय सूर्य को खोज रहा हूँ
और बता रहा हूँ
यहाँ पर परंपरा चल कर खोलती है
प्रथाओं में सभ्यता का राज़।

-मैक्सिको में