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"राजमहल के बाहर / विष्णुचन्द्र शर्मा" के अवतरणों में अंतर
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जाओ
और छोड़ आओ
राजा की कहानी उसके महल में।
ले जाओ क्रांति के वक्त की खुली धूप
ले जाओ इंसान की तरह बगीचे, फूल
और थकान लेकर लौट जाओ
राजमहल के बाहर।