भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पारपत्र नहीं चाहिए / विष्णुचन्द्र शर्मा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विष्णुचन्द्र शर्मा |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:14, 17 मार्च 2017 के समय का अवतरण
मेरी पृथ्वी
एक मंच है
जहाँ हाथ थामे लोग
नाच रहे हैं।
मेरी पृथ्वी
एक अंतरंग यात्रा है
जहाँ हर यात्री
लहर-दर-लहर
नृत्यरत है।
मेरी पृथ्वी की
कोई सरहद नहीं है
यहाँ कोई
पार-पत्र नहीं चाहिए।
सिर्फ स्वर
शब्द को
ध्वनि ब्रह्मांड को
उदात्त बनाती है
धीरे-धीरे नाद को खोलती चली जाती है
और लय में बाँध देती है
हमें...।