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"चुप्पी का राज / विष्णुचन्द्र शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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11:50, 17 मार्च 2017 के समय का अवतरण

गन्ने के खेतों की मीठी गाँठें
चुप हैं।
वह नहीं जानती
कौन-सा कॉर्पोरेट घराना
खींच लेगा उसका रस।
मैं चाहकर भी अपने ही देश के गन्नों से
बतिया नहीं सकता हूँ।
मैं जानता हूँ
कब वह खोल दे अपना भय
कब छिपा ले अपना अनकहा दर्द!