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12:36, 17 मार्च 2017 का अवतरण
आँख्याँ बहरी है र कान आँधा है. आ ही भली हुई ! नहीं तो देखै जिया ही सुणलै र सुणै जिया ही देख लै क तो परळै हूँता के ताळ ळागै ?