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"चांद और चांदनी / तरुण" के अवतरणों में अंतर

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आकाश-
भव्य असेम्बली चैम्बर,
तारे-
चमचमाती कारों में पधारे
सजे-धजे चुनिंदा मेम्बर,
चांनी की धवलिमा-
स्वाधीनता के बाद
देश की स्मृति में बसी
लँगोटिये गाँधी की दो अक्तूबरी रस्मिया अमीरी याद!
सज्जा, प्रसाधन, डिकोरम-सब अप-टू-डेट!

चाँद-
हैं? किसने खींच कर मारा-
संवैधानिक अहिंसक पेपरवेट!
-की बोले माँ तुमि अबले!

1988