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"स्त्रियां / रमेश तैलंग" के अवतरणों में अंतर

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स्त्रियों को पता होता है
अखबार पढ़े बिना
आटे-दाल का भाव
घर चलाती हैं वे।

स्त्रियों को पता होता है
पुरुषों की जेब में
कहां-कहां धन है
और कहां-कहां ऋण।

स्त्रियों को पता होता है
कितना कुछ बोला जा सकता है
चुप्पी के माध्यम से।

स्त्रियां...
आज भी
न खत्म होने वाली
खोज है
पुरुषों के लिए।