भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नहीं कहा गया वह / शैलेन्द्र चौहान" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शैलेन्द्र चौहान |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

10:23, 21 मार्च 2017 के समय का अवतरण

न नदी हुई कामधेनु
न नीर हुआ निर्मल
न शिला हुई अहल्या
न गिरि-शिखर स्वर्ग

कुछ भी तो नहीं हुआ
विगत चार दशकों में जैसा वर्णित है
महाकाव्यों, पोथियों और पुराणों में।

हुआ जो अकर्म, वह छपा
सत्यकथायें बन अखबारों में।

नहीं कहा गया वह तो घटा मन में
सहज जीवन में,
नहीं बनी पुराकथा
नहीं बना समाचार सनसनीखेज
व्यर्थ ही गया यौवन।