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"हिटलर / रमेश आज़ाद" के अवतरणों में अंतर

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10:43, 21 मार्च 2017 के समय का अवतरण

हिटलर
अपनी कब्र में
कभी नहीं सोया
जागता रहा लगातार
दुनिया की हर पार्लियामेंट में,
सड़कों पर
गलियों में
खेतों में
उलटा स्वास्तिक
कभी प्रार्थना
कभी बंदूकों में
बदलता रहा।

हिटलर के अंत पर
शांति की दुआएं मांगती
दुनिया अब भी खड़ी है
टैंकों के सामने,
जबकि कब्रगाह के बीच
अभी भी जिंदा खड़ा है
अट्टहास करता हिटलर!