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"मकड़जाल / सत्यप्रकाश बेकरार" के अवतरणों में अंतर
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बहुत चालाक और मक्कार था
वो आदिम विद्वान
जिसने मकड़ी को अपना आदर्श चुना,
और हमारी बुद्धि के इर्द-गिर्द
एक जाल बुना।
हमें दे दिया
एक काल्पनिक महाशक्ति का
गलत पता,
और हम तलाशते, तलाशते, तलाशते रहे
होते रहे लापता।