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"जनता भगवान / धीरज पंडित" के अवतरणों में अंतर

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के जीतै छै के हारै छै
तोॅ देखलै जा जनता भगवान
भारत के छै कहाँ निशानी
तोॅ खोजलेॅ जा जनता भगवान।

गाँव-गाँव आरू शहर-शहर मेॅ
कौने धूम मचावै छै
जात-पात के नक्शा जोड़ी
कौने नाच नचावै छै।
के छिनै छै केकरोॅ रोटी
के छिनै केकरोॅ पकवान
भारत के छै कहाँ निशानी
तोॅ खोजलेॅ जा जनता भगवान।

देखतै-देखतै बीतलै आधो
उमर केॅ लोग छुपावै छै
हय देखी गाँधी बाबा रोॅ
तीनों बंदर घबरावै छै।
चार दिनोॅ के जिनगी में
पँचवां कोॅ नै करो धियान
भारत के छै कहाँ निशानी
तोॅ खोजलेॅ जा जनता भगवान।

वक्त पड़ला पर हाथ जाड़ै छै
नै तै छूट्टा हाथ छै
हय हाथोॅ के हाथ छै
हय हाथोॅ के हाथ मेॅ भैया
सोचों केतना के हाथ छै
हय हाथोॅ केॅ मुट्ठी बान्धों
तबेॅ तेॅ छों तोरो कल्याण
भारत के छै कहाँ निशानी
तोॅ खोजलेॅ जा जनता भगवान।

घर सेॅ बाहर खतरा छै
हय घ्ज्ञरनी कतना चौतरा छै
ड्योढ़ी देलकै खड़ा हिमालय
फिर भी अंदर कोहरा छै।
हय कुहरा केॅ दूर भगाबो
जों तोंय छोॅ सच्चा इंसान
भारत के छै कहाँ निशानी
तोॅ खोजलेॅ जा जनता भगवान।

तोरे कन्धा पर बन्दूक छोॅ
तोरे कन्धा पर आबेॅ हऽर।
तोर लेली बनलो बनैलो
हय देशो मेॅ आपनोॅ घऽर।
तोरे हाथों सेॅ ई बनतै
आपनोॅ भारत देश महान।
भारत के छै कहाँ निशानी
तोॅ खोजलेॅ जा जनता भगवान।