भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"31 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:33, 29 मार्च 2017 के समय का अवतरण

भाबी रिज़क उदास जां हो टुरिया हुण कासनूं खलिआं हटकदियां हो
पहिले साड़के जीऊ नमानड़े नूं पिछे आ मलहम लावन लगदियां हो
भाई साक सन सो वख जुदा कीते तुसीं साक की साडीयां लगदियां हो
वारस शाह अकलड़े की करना तुसीं सते अकठीयां वगदियां हो

शब्दार्थ
<references/>