भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"58 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:46, 29 मार्च 2017 के समय का अवतरण
उठीं सुतया सेज असाडड़ी तों लम्मा सुसरी वांग की पया हैं वे
राती किते उनींदरा कटो ई ऐडी नींद वाला लुड़ गया हैं वे
सुन्नी देख नखसमड़ी सेज मेरी कोई आलकी आन ढह पया हैं वे
इके ताप चढ़या जिन्न भूत लगे इके डैण किसे भख लया हैं वे
वारस शाह तूं जींवदा घूक सुत्तों इके मौत आई मर गया हैं वे
शब्दार्थ
<references/>