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"तुम्हारे लिए / कर्मानंद आर्य" के अवतरणों में अंतर

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09:44, 30 मार्च 2017 के समय का अवतरण

धरती जो महकती है लोबान की खुशबू से
वह घर जो कस्तूरी की गंध से भर आता है
वह कमरा जो महकता है
दुनिया के सबसे बेहतरीन इत्र से