भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"99 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:38, 31 मार्च 2017 के समय का अवतरण
महीं चरन ना बाझ रंझेटड़े दे माही हार सभे झख मार रहे
कोई घुस जए कोई डुब जाए कोई शींह पाड़े कोई पार रहे
सयाल पकड़ हथयार ते हो गुंमा मगर लग के खोलिया चार रहे
वारस शाह चूचक पछोतावदा ए मूंगू ना छिड़े असीं हार रहे
शब्दार्थ
<references/>