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"122 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर

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11:04, 31 मार्च 2017 के समय का अवतरण

फलहे कोल जिथे मंगू बैठदा सी ओथे चाल हैसी घर नाइयां दा
मिठी नाएण घरां संदी खसमनी सी नाई कम करदे फिरन साइयां दा
घर नाइयां दे हुकम रांझने दा जिवें साहुरे हुकम जवाइयां दा
चा भा मिठी फिरन वालयां दी बाग खुलदा<ref>स्वर्ग का बाग</ref> लेफ तुलाइयां दा
मिठी सेज वछाई के फुल पूरे उते आंवदा कदम खुदाइयां दा
दोवं हीर रांझा रातीं करन मौजां मझीं खान खढ़ियां सिर साइयां दा
घड़ी रात रहिंदी हीर घर जांदी रांझा भाउ पुछांवदा धाइयां दा
आपो अपनी कार विच रुझ जांदे बूहा फेर ना देखदे नाइयां दा

शब्दार्थ
<references/>