भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"148 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

11:16, 31 मार्च 2017 के समय का अवतरण

कैदो बाहुड़ी ते फरयाद कूके धीयां वालयो करो नयां मियां
मेरा हट पसारी दा लुटया ई कोल वेखदा पिंड गिरां मियां
मेरे भंग अफीम ते पोसत लुड़िया होर नयामतां दा क्या नां मियां
मेरी तुसंा दे नाल ना सांझ कोई पिंन टुकड़े पिंड दे खां मियां
तोते बाग उजाड़दे मेवयां दे अते फाह लयांवदे कां मियां

शब्दार्थ
<references/>