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"152 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर

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11:20, 31 मार्च 2017 के समय का अवतरण

जदों लाल कचौरी नूं खेड सइयां सभो घरो घरी उठ चलियां नी
रांझा हीर नयारड़े हो सुते कंधीं नदी दीयां महियां मलियां नी
पए वेख के दोहां इकठयां नूं टंगां लंडे दियां तेज हो चलियां नी
परे विच कैदो आन पग मारे चलो वेख लौ गलां अवलियां ने

शब्दार्थ
<references/>