भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"185 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

11:31, 31 मार्च 2017 के समय का अवतरण

मठी होर खजूर पराकड़ी भी भरे टोकरे नाल समोसयां दे
अंदरसे कचौरियां अते लुची बड़े खंड दे खिरमयां खोमयां दे
पेड़े नाल खताइयां गोल गुप चुप बदानयां नाल पलोसयां दे
रांझा जोड़के परे फरयाद करदा वेखो खुसदे साक बेदोसयां दे
वारस शाह नसीब ही पैन झोली करम ढहन नाहीं नाल रांसियां दे

शब्दार्थ
<references/>