भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"255 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:27, 3 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण
जोगी हो लाचार जां मेहर कीती तदों चेलयां बोलियां मारियां ने
जीभा साण चढ़ाय<ref>तेज करना</ref> के गिरद होए जिवें तिखियां तेज कटारियां ने
बेख सोहना रंग जटेटड़े दा जोग देन दियां करन त्यारियां ने
जोग देन ना मूल नमाणयां नूं जिनां कीतियां मेहनतां भारीयां ने
ठरक मुंडयां दे लगे जोगियां नूं मतीं<ref>अकल</ref> जिन्हां दियां रब्ब ने मारियां ने
वारस शाह खुशामदां<ref>चापलूसी</ref> सोहनयां दियां गलां हकदियां नांह नितारियां ने
शब्दार्थ
<references/>