भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"280 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:35, 3 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण

अजड़<ref>झुंड</ref> चारना कम पैगम्बरां दा केहा अमल शैतान दा रोलयो ई
भेडां चारके तोहमतां जोड़ना ए क्यों गजब फकीर ते खोलयो ई
वाही छड के खोलियां चारियां नी होयों जोगीड़ा जीऊना ठोलयो ई
सच मन के पिछांह मुड़ जा जटा केहा कूड़ दा फोलना फोलयो ई
वारस शाह एह उमर नित कर जाया<ref>बरबाद</ref> शकर विच प्याज क्यों घोलयो ई

शब्दार्थ
<references/>