भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"289 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:43, 3 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण
ओथे झल मसतानियां करे गलां सुखत सुनो कन पाटयां भारयां दे
करां कौन तारीफ मैं खेड़यां दी झुंड फिरन चैतरफ कवारियां दे
मार आशकां नूं चा करन बेरे नैन तिखड़े नोंक कटारियां दे
देन आशकां नूं तोड़े नाल नैना नैन रहन नाहीं बुरयारियां दे
एस जौवने दीयां वनजारियां नूं मिले आन सुदागर यारियां दे
सुरमा खुल दंदासड़ा सुरख मेंहदी लुट लए नी हट पसारियां दे
नयनां लाल कलेजड़ा झिक कढन दिसन भोलड़े मुख विचारियां दे
जोगी वेखके आन चैगिरद होइयां छुटे फिरन विच नाग पटारियां दे
ओथे खोल के अखियां हस पैंदा जित्थे वेखदा मेल कवारियां दे
आन गिरद होइयां बैठा विच जोगी बादशाह जयों विच अमारियां दे
वारस शाह ना रहन नचलड़े ओ जिन्हां नरां नूं शौक ने नारियां दे
शब्दार्थ
<references/>