भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"297 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:45, 3 अप्रैल 2017 का अवतरण
सम जग दी करो अतीत साईं साडियां सूरतां वल ध्यान कीजो
अजू मेहर दे वेहड़े नूं करो फेरा सहती सोहणी ते नजर आन कीजो
वेहड़ा महर दा चलो विखा लयाईये जरा हीर दी तरफ ध्यान कीजो
वारस वेखीए घरां सरदारी ढयां नूं अजे साहिबो नहीं गुमान कीजो
शब्दार्थ
<references/>