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"354 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर

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सुन सहतीए असी हां नाग काले पढ़ सैंफियां<ref>मंतर</ref> जुहद<ref>तपस्या</ref> कमावने हां
मकर रन्न नूं भन्नके साफ करदे जिन्न भूत नूं साड़ विखावने हां
नकस लिखके फूक यासीन<ref>कुरान का एक सूरा जिसमें प्रेत-खबीस आदि भगाने की दुआएं दर्ज हैं</ref> साए<ref>परछावें की बीमारी</ref> सूल दी जात गवावने हां
दुख दरद बला सभे दूर हुंदे कदम जिन्हां दे वेहड़यां पावने हां
सनै तसमियां<ref>नाम रखना</ref> पड़हां इखलाक<ref>कुरान का सूरा</ref> सूरत जड़ां वैरी दियां पुट गुवावने हां
दिलों जिसदे चा तवीज लिखिये असीं रूठड़ा यार मनावने हां
जेहड़ा मारना होवे ता कील करके ऐतबार मसान जगावने हां
जेहड़े गभरू तों रन्न रहे विटर लौंग मंतर के चा खुवावने हां
जेहड़े यार नूं यारनी मिले नाहीं फुल मंतर के चा सुंगावने हां
ओहनां वौहटियां दे दुख दरद जादे फड़ हिक ते हथ फरावने हां
कील डायनां कचियां पकियां नूं दंद भन के लिटां मुनावने हां
जान सेहर जादू जेहड़े भूत गुंडे गंडा कील दुआली दा पावने हां
किसे नाल जे वैर विरोध होवे ओहनूं भूत मसान चमड़ावने हां
बुरा बोलदी ए जेहड़ी जोगियां नूं सिर मुन्न के गधे चढ़ावने हां
जैदे नाल मुदपड़ा<ref>मेल-जोल</ref> ठीक होवे ओहनूं वीर बैताल पहुंचावने हां
असी खेड़ियां दे घरों इक बूटा हुकम रब्ब देनाल पुटावने हां
वारस शाह जे होर ना दा लगे सिर ते परेम जड़ीयां जा पावने हां

शब्दार्थ
<references/>