भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"408 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

13:57, 5 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण

वांदी हो के चुप खलो रही ऐं सहती आखदी खैर ना पायो कयों
एह तां जोगीड़ा नीच कमजात कंजर, एस नाल उठ भैड़ मचाया कयों
आप जा के देह जे हई लैंदा घर मौत ऐ घत फसायो कयों
मेरी पान पत एस ने लाह सुटी जान बुझ बेशरम करायो कयों
मैं तां एसदे हथ विच आन फाथी मास शेर दे हथ फहायो कयों
वारस शाह मियां एस मोरनी दे दुआले लाएके बाज छुडायो कयों

शब्दार्थ
<references/>