भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"419 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:04, 5 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण
हीर आखया एह चवाई<ref>बोल-कबूल</ref> केहा ठूठा भन्न फकीर नूं मारना की
जिन्हां इक अलाह दा आसरा ए उनां फकां दे नाल काहढ़ना की
जेहड़े कन्न पड़ा फकीर होए भला ओहनां दा पड़तना<ref>परदा</ref> पाड़ना की
थोड़ी गल दा बहुत वधान करके सौरे कम्म नूं चा वगाड़ना की
मरे बूहे ते फकर नूं गारया ई वसदे घरां तूं चा उजाड़ना की
शब्दार्थ
<references/>