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जाह खोल के वेख जो सिदक आवे किहा शक दिल आपने पाइयो नी
कहयां असां जे रब्ब तहकीक करसी केहा आन के मगज खपाइयो नी
जाह वेख विशवास जे दूर होवे केहा दरदढ़ा आन मचाइयो नी
शक मिटें जे थाल नूं खोल वेखें वारस मकरकी आन फैलायो नी
शब्दार्थ
<references/>