भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"460 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:21, 5 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण

हथ बन्ह के करे सलाम सहती दिलों जान थी चेलड़ी तेरियां मैं
करां बांदियां वांग बजा खिदमत नित पांवदी रहांगी फेरियां मैं
पीर सच दा असां तहकीक<ref>यकीन</ref> जाता नाल सिदक मुरीद हां तेरियां मैं
करामात तेरी उते सिदक कीता तेरे हुकम दे नफस ने घेरियां मैं
साडी जान ते माल ते हीर तेरी नाले सने सहेलियां तेरियां मैं
असां किसे दी गलना कदी मन्नी तेरे इसम<ref>नाम</ref> आजम<ref>बड़ा</ref> हुब<ref>प्यार</ref> घेनियां मैं
इक फकर अलाह दा रख तकवा<ref>आसरा</ref> होर ढा बैठी सभ ढेरियां मैं
पूरी नाल हिसाब दे हो सकां वारस शाह की करां शेरियां<ref>दिलेरी</ref> मैं

शब्दार्थ
<references/>