भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"468 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:22, 5 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण

जो कुझ तुसी फरमांओ सो जाए आखां दिल जानथी चेलड़ी होइआं मैं
तैनूं पीर जी भुल के बुरा बोली भुली विसरी आन विगोइआं मैं
तेरी पाक जबान दा हुकम लैके कासिद<ref>संदेश देने वाला</ref> होयके आन खलोइआं मैं
वारस शाह दे मोजजे साफ कीती नहीं मुढ दी वढी बदखोइआं मैं

शब्दार्थ
<references/>