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"474 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर

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14:55, 5 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण

रांझा वेख के आखदा परी कोई इके भावे तां हीर सयाल होवे
कोई हीर कि मोहनी इंदरानी हीर होवें तां सइयां दे नाल होवे
नेड़े आयके कालजा धा गई जिवें मसत कोई नशे दे नाल होवे
रांझा आखदा अबरे<ref>बादल</ref> बहार आया जंगलां भी लाली लाल होवे
हाठां जोड़<ref>घटा का घिरके आना</ref> बदलां हांझ बधी वेखां केहड़ा देस निहाल होवे
चमक लैलातुल कदर<ref>रमजान की एक रात जब इबादत का भारी सवाब</ref> सयाह-शबथी जिसते पवगी नदर निहाल होवे
डील डाल ते चाल दी लटक सुंदर जेहा पेखने दा कोई खयाल होवे
यार सोई महबूब ते फिदा होवे जी सोई जो मुरशदां नाल होवे
वारस शाह आ चंबड़ी रांझने नूं जेहा गधे दे गल विच लाल होवे

शब्दार्थ
<references/>