भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"479 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:56, 5 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण

जो कोई एस जहान ते आदमी ए रोंदा मरेगा उमर ते झूरदा जी
सदा खुशी नाहीं किसेनाल निभदी एह जिंदगी भेश जंबूर<ref>भौंरा</ref> दा जी
बंदा जीऊने दी नित करें आसा अजराईल सिर दे उते घूरदा जी
वासर शाह इक हशक दे खड़नहारा डाल डाल ते खाल खजूर दा जी

शब्दार्थ
<references/>