भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"483 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:56, 5 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण

अगों रायबां<ref>शक करना</ref> शैरफां <ref>खोटा-खरा परखने वाला</ref> बोलियां ने केहा मथा तूं भाबीए खेड़या ई
भाबी आख की लघो ई टहक आईए सोयन-चिड़ी वांगू रंग फेरया ई
मोई गई सै जीवदी आन वड़िए सच आख की सच सहेड़या ई
अज रंग तेरा भला नजर आया सभो सुख ते दुख नवेड़या ई
नैना शोख होए रंग चमक आया किसे जोबनेदा खूह गेड़या ई
हाथी मसत आशक भावे बाग वाला तेरी संगली नाल खहेड़या ई
कदम चुसत ते साफ कनौतियां ने हथ चाबक<ref>चालाक</ref> असवार न फेरया ई
वारस शाह अज हुसन मैदान चढ़ के घोड़ा शाहसवार ने छेड़या ई

शब्दार्थ
<references/>