भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"489 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:58, 5 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण
तेरे सयाह ततोलढ़े कजले दी ठोडी अते गलां उतों गुम लए
तेरे फुल गुलाब दे लाल होए किसे घेर के राह विच चुम लए
तेरे खानचे<ref>खोमचा</ref> शकर पारयां दे हत्थ मार के भुखयां लुम गए
घोड़ा मार के धाड़वी मेवयां दे रत्न झाड़ बूटे किते गुम गए
वडे वनज होए अज जोबना दे कोई नवें वनजारढ़े धुंम गए
वारस शह मियां कीते कम तेरेअज कल जहान ते धुंम गए
कोई धोबी वलैयतों आन लथे सिरी साफ दे थान चढ़ खुंब गए
तेरी चोली वलूंदरी सने सीन पेजे तंूबयां नूं जिवें तुंब गए
खड़े काबली कुतयां वांग नठे वढायके कन्न ते दुंब गए
वारस शाह अचबड़ा नवां होया सुते पाहरूयां नूं चोर टुंब गए
शब्दार्थ
<references/>