भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"494 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
15:00, 5 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण
अज किसे भाबी तेरे नाल कीती चार यार फड़े गुनहगारियां नूं
भाबी अज तेरे नाल ओह बनी दुध हथ लगा दुधा धारियां नूं
तेरे नैनां दियां नोकां दे खत बने वाढी मिलदीयां है जिवें कटारियां नूं
हुकम होर दा होर अज हो गया अज मिली पंजाब कंधारियां नूं
तेरे जोबन दा रंग किस लुट्ट लया हनुमान जियो लंक उतारयां नूं
हथ लग गई सैं किसे यार ताईं जियों कसतूरी दे भाओ बपारियां नूं
तेरी त्रकड़ी दियां कसां ढिलियां ने किसे तोलिया लौंग सपारियां नूं
चूड़े बिड़े ते हार शिंगार टुटे ठोकर लग गई मिना कारियां नूं
वारस शाह जिन्हां मलें अतर शिशें उन्हां की करना फौजदारियां नूं
शब्दार्थ
<references/>