भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"509 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
15:30, 5 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण
पिहढ़े घतके कदी न बहे बूहे असीं एहते दुख विच मरांगे नी
एहदा जिउना पलमदा पिंड साडे असीं एह इलाज की करांगे नी
सोहनी रन्न बाजार ना वेचनीए वयाह पुत दा होरद करांगे नी
मुलां वैद हकीम लै जान पैसे कहियां चटियां गैब दियां भरांगे नी
वहुटी गभरू दोहां नूं बाढ़ अंदर असी बाहरों जंदरा जड़ां नी
सैदा ढाह के एस तों लए लेखा असी चीकनों मूल न डरांगे नी
शरमिंदगी जग दी सहागे जरा मुंह परां नूं होर दे करांगे नी
कदी चरखड़ा डाह ना छोप कते असी मेल भंडार की करांगे नी
वारस शाह शरमिंदगी एस दी तों असीं डुब के खूह विच मरांगे नी
शब्दार्थ
<references/>