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"565 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर

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15:46, 5 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण

काज़ी आखया बोल फकीर मियां छड झूठ दे दब दबेड़यां नूं
असल गल जो आख दरगाह अंदरना कर ज़िकर तूं झगड़यां झेड़यां नूं
सारे देस विच धुम ते शोर होया दोवें फड़े हो आपने फेड़यां नूं
एस जट दी शरम जे लाह सुटी खुआर कीता जे सयालां ते खेड़यां नूं
पहलां मचयों आनके दावयां ते है सलाम वलां छलां तेरयां नूं
आबू<ref>आधा भुन्ना दाना</ref> भुन्नदियां झाड़ के चब<ref>चमक</ref> चुका हुण वौहटड़ी देह खां खेड़यां नूं
आओ वेख लवो सुनन गिनन वालयो ए मियां जा डोबदे बेड़यां नूं
दुनियांदारां नूं औरतां जुहद फकरां मियां छोड़ दे झगड़यां झेड़यां नूं
काज़ी बहुत जे आंवदा तरस तैनूं बेटी आपनी बखश दे खेड़यां नूं
नित माल पराया चुरा खांदे एह दस मसले राही पेड़यां नूं
ऐबी<ref>ऐब करने वाला</ref> कुल जहान दे पकड़नीगे वारस शाह फकीर दे फेड़यां नूं

शब्दार्थ
<references/>