भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"587 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
15:51, 5 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण
बखशीं लिखने वालयां जुमलयां नूं पढ़न वालयां करी अता साईं
सुनन वालयां नूं बहुत खुशी होई रखन जौक ते शौक दा चा साईं
रखी शरम हया तूं जुमलयां दा मीटी मुड़ दी दई लघां साईं
वारस शाह तमामियां मोमनां नूं दईं दीन ईमान लुका साईं
शब्दार्थ
<references/>