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अदालत तेॅ बनलऽ छै छुच्छे तमाशा
मुदैय आरू मुजरिम के बनलै जनवासा।
वकील आरू मुंशी के मुहऽ मेॅ पानी
देखी कं गहकी के डारा मेॅ रासा।
चाय, पान, होटल आरू भेन्डर बाला,
टायपिस्ट साथें बजाबै छै तासा।
बैठलऽ छै बनिया झट धरै लेॅ बन्हकी,
घड़ी, साईकिल, बर्तन स्टील की कासा।
होकरौ पेॅ तीनतसिया पीछू पड़ल छै,
केन्हों फसाबै लं फेकै छै पासा।
जेकरा नै बचलऽ छै बेचै लेॅ कुच्छू,
होकरा छै आबे भगवाने पेॅ आशा।
अदालत तेॅ बनलऽ छै छुच्छे तमाशा।
