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स्वर्णाभ सूर्य
चांदी सा चन्द्रमा
हीरे से चमकते तारे
बंद कर लो
अपनी ह्रदय मंजूषा में
जिस पर जरूरत नहीं
किसी ताले की
न चोरी का भय
महसूस करो
आनंद लो जी भर
ग्रीष्म का उत्ताप
वर्षा की रिमझिम फुहार
शीत ऋतु की ठंडी बयार
बच्चों की किलकारियां
अपनों का प्यार
पृथ्वी यान पर बैठ कर
परिक्रमा करो सूरज की
अंतरिक्ष में डोलो
कभी तो हृदय की तराजू पर
अपनी सम्पदा को तौलो !